नौकरी करने वाले बहुत से लोगों के मन में प्रायः यह विचार उठता है कि नौकरी छोड़ कर अपना कुछ किया जाये. कोई दुकान खोलना चाहता है तो कोई कारखाना. कोई अपना अनुभव लोगों में बाँटने को सलाहकार बनना चाहता है तो कोई शिक्षक बन कर जो मिल जाये उसी में संतोष कर राम नाम जपना चाहता है. जिसका जैसा सामर्थ्य अथवा रुझान हो. परन्तु नौकरी छोड़ कर अपना काम करने वाले लोग सफल हों ही जाएँ यह निश्चित तो नहीं. जन्मकुंडली के अनुसार कैसे यह पता लगे कि जो व्यक्ति नौकरी छोड़ कर ऐसा कुछ करना चाहता है उसके लिए नौकरी करना कितना उचित रहेगा. ऐसे प्रश्न पूछे जाने पर ज्योतिषी को जन्मपत्रिका में किन बातों पर विचार करना चाहिए. भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा को बहुत महत्त्व दिया गया है. चन्द्रमा मन का कारक है. व्यापार करने वालों का मनोबल अच्छा नहीं हुआ तो व्यापार टिकता नहीं. जिसकी जन्मपत्रिका में चन्द्रमा बली न हो ऐसा व्यक्ति छोटी छोटी बातों पर चिंता करता है और छोटी छोटी बातों पर प्रसन्न हो उठता है. ऐसा भी देखने में आया है कि ऐसे व्यक्ति के मन के भाव तुरंत उसके चेहरे पर आ जाते हैं. व्यापार चाहे कैसा भी हो, संबंधों से चलता है और पीड़ित चन्द्रमा वाला व्यक्ति संबंधों को प्रायः भली भांति नहीं निभा पाता कारण कि उसे बुरा बहुत जल्दी लग जाता है. अतः चन्द्रमा का विचार व्यापार के प्रश्न में आवश्यक हो जाता है. व्यापार में इस बात का भी बहुत महत्त्व है कि आपका बोल कैसा है. मैं ऐसे बहुत से दुकानदारों को जानता हूँ जिनके पास लोग केवल इसलिए जाते हैं क्योंकि उनका व्यवहार अच्छा है. वही वस्तु दूसरी दुकान में उसी दाम पर मिल रही हो तो भी लोग व्यवहार के चलते एक दुकान पर जाते हैं और दूसरी पर नहीं. बुध बुद्धि का कारक है और व्यक्ति को वाक्चातुर्य देता है. कन्या, तुला, कुम्भ और विशेषकर मिथुन राशि में बुध बहुत बली होता है. उस पर यदि शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो और भी अच्छा. बलवान बुध व्यक्ति को वाग्मी बनाता है. व्यर्थ के सोच विचार से रोकता है. स्मरण रहे बुध चन्द्रमा को शत्रु मानता है. उसे बात बात पर चिंता करना अच्छा नहीं लगता. वह व्यर्थ भावनाओं में नहीं बहता. कोई समस्या है तो अपनी बुद्धि से उसे सुलझाना बुध को प्रिय है परन्तु यदि बुध पत्रिका में पीड़ित हो तो व्यक्ति को संवेदनशील बना देता है. स्मरणशक्ति का ह्रास होता है. अतः जिस प्रकार का कार्य करना हो उसी प्रकार से बुध का विचार करना चाहिए. इसी प्रकार शुक्र का भी विचार करना चाहिए क्योंकि शुक्र में आकर्षण है. जिसका शुक्र बहुत बली हो ऐसे व्यक्ति से मिल कर आपको अच्छा लगेगा. आपको लगेगा उसे बार बार मिलें और दूसरी बात यह कि व्यापार प्रायः भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए किया जाता है और भौतिक सुखों का कारक शुक्र है अतः ज्योतिषी द्वारा शुक्र का विचार किये बिना नौकरी छोड़ कर अपना काम करने की सलाह देना ठीक नहीं लगता. चूंकि ज्योतिषी को बहुत सोच विचार कर कुछ कहना होता है अतः कोई अन्य ग्रहों का भी विचार करना चाहे तो कोई ग़लत नहीं. जैसे मंगल से धैर्य, शनि से गंभीरता/स्थिरता, सूर्य से अधिकार आदि. व्यापार का प्रश्न हो तो सप्तम स्थान और दशम स्थान दोनों पर ध्यान देना चाहिए. व्यापार में कई लोग साझा कर लेते हैं अर्थात पार्टनरशिप में काम करते हैं. इसलिए भी सप्तम स्थान का महत्त्व बढ़ जाता है. सप्तम स्थान प्रायः दैनिक आय वाले कार्य बताता है. दशम स्थान कर्म स्थान है. जैसे ग्रहों का इन स्थानों पर प्रभाव होगा व्यक्ति वैसे ही कर्म करने को प्रेरित होगा. उदाहरण के लिए बलवान मंगल का दशम स्थान में होना नौकरी करने वालों के लिए अच्छा नहीं. हो सकता है ऐसे व्यक्ति नौकरी छोड़ भी दें. वहीं यदि शनि दशम-दशमेश पर प्रभाव डाल रहा हो तो इस बात की प्रबल संभावना है कि वह व्यक्ति चाहते हुए अथवा न चाहते हुए नौकरी ही करेगा. बिना प्रतिद्वंदियों के व्यापार नहीं होता. व्यक्ति को आगे बढ़ना है तो दूसरों को पीछे छोड़ना होगा. छठे स्थान के कारक शनि और मंगल दोनों हैं. षष्ठ स्थान से पता चलता है कि व्यक्ति में संघर्ष करने की क्षमता कितनी है. कहीं ऐसा तो नहीं कि वह प्रतिस्पर्धियों के डर से शीघ्र ही घुटने टेक दे. जैसे नौकरी में आगे बढ़ने में समय लगता है ऐसे ही व्यापार में भी लगता है परन्तु कई लोग व्यापार को उतना समय नहीं देते. वे शीघ्र ही आगे बढ़ना चाहते हैं. जो दस वर्ष नौकरी करने के बाद १ लाख रुपये महीना कमा रहा था ऐसा सोचता है कि अपना काम प्रारम्भ करने के ६ महीने में ही सफलता मिलने लगे. ऐसे लोगों की पत्रिका को बहुत ध्यान से देखना चाहिए. सफलता का अर्थ कई लोगों की दृष्टि में धनोपार्जन तक ही सीमित है अतः दूसरे स्थान का विचार करना भी आवश्यक हो जाता है. व्यक्ति भाग्यवान हो तो व्यापार शीघ्र ही चल निकलता है अतः विद्वानों को नवम स्थान का विचार भी करना चाहिए. इस पूरे प्रकरण में आपने देखा होगा कि सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा हुआ है. आपको ऐसा भी लग रहा होगा कि और भी बातों पर विचार किया जा सकता है जैसे पराक्रम के लिए तृतीय स्थान, कष्ट के लिए अष्टम स्थान, व्यय के लिए द्वादश आदि. अनुभव के साथ यह समझ आने लगता है कि किस बात को कैसे देखना है और कितना महत्त्व देना है. किसी भी बात पर ठीक ठीक विचार करना हो तो पूरी पत्रिका का अध्ययन भली प्रकार करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है. और फिर उस सब को मिला जुला कर कुछ कहा जाता है. |
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October 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |