एक महिला जिनको मैं जानता हूँ उन्हें ज्योतिष पर अत्यंत विश्वास था और अत्यंत विश्वास को अन्धविश्वास में बदलते देर नहीं लगती. कई बार ऐसा भी अनुभव में आया है कि ज्योतिष में मानने वाले तंत्र मंत्र वालों के पास भी जाने में संकोच नहीं करते. जिन महिला की मैं यहाँ बात कर रहा हूँ उन्हें लगता था कि उनके अंदर कोई प्रवेश कर गया है. कितने ही ज्योतिषियों के पास गयी परंतु ज्योतिष में बिना अंतर्ज्ञान के ऐसे उत्तर नहीं मिलते. हताश हो चलीं तो उन्हें किसी ने सुझाया कि तांत्रिक के पास जाओ. तांत्रिक ने देखते ही स्वीकार कर लिया कि उनके भीतर एक दुष्टात्मा का प्रवेश हो गया है जो उन्हें सता रहा है. त्रस्त व्यक्ति तो उपाय चाहता है. उन्होंने उपाय पूछा. तांत्रिक ने उनके बाल पकड़ कर न जाने किस मर्तबान में उनका मुँह डाला और दो चार मुक्के पीठ पर जड़ दिए. साथ ही कहता गया - "निकल बाहर, बोल तू कौन है, इसे सताने का क्या प्रयोजन है". महिला घबरा गयी. मुँह मर्तबान में, कमर झुकी हुई और पीठ पर पड़ते मुक्कों को उन्होंने थोड़ी देर तो सहन किया फिर वहाँ से भाग निकली. एक अन्य महिला जिन्हें मैं जानता हूँ, यदि सड़क पर कुत्ते भी उन पर भौंके तो उन्हें लगता था कि किसी ने तंत्र प्रयोग किया है जिससे कुत्ते उन पर भौंक रहे हैं. वह सदा इस भ्रम में रहती थी कि लोग उन्हें हानि पहुँचाना चाहते हैं. ज्योतिष में उन्हें भी अत्यंत विश्वास था. एक प्रशिक्षण शिविर जो हमारे कार्यालय में आयोजित किया गया था उसमें विषय तो यद्यपि वाक्पटुता का था परंतु कहीं से ज्योतिष का विषय निकल आया. जो प्रशिक्षण देने आये थे उन्होंने बताया कि उनके कोई परिचित व्यक्ति हैं जो यदि साधारण सी भी यात्रा करने वाले हों तो ज्योतिषी से समय पूछते हैं कि किस समय निकलना उचित होगा. ऐसे और भी अनेकों उदहारण हैं. दूरदर्शन (टेलीविज़न को हिंदी में दूरदर्शन भी कह सकते हैं) ने इसे और भी सुलभ कर दिया है. परेशान लोगों को रातों में नींद नहीं आती और रात को टेलीविज़न पर ऐसे ही कार्यक्रमों की भरमार रहती है. ज्योतिषी भी धड़ल्ले से उपाय बाँट रहे होते हैं और भांति भांति की सलाह दे रहे होते हैं. जिसे बिना जाने बूझे लोग अपनाते फिरते हैं और दूसरों को भी बताते हैं. जहाँ भी भय है, असुरक्षा की भावना है, वहाँ ऐसे उदहारण मिल ही जायेंगे. एक बात और भी है. अत्यधिक विश्वास ज्योतिष में है ज्योतिषी में नहीं. यह भ्रम ही है जिसके कारण एक ही समय पर कई ज्योतिषियों से उपाय चल रहे होते हैं. किसी ने शिव चालीसा बताई है, तो किसी ने बजरंग बाण. उद्देश्य केवल एक - सुख मिल जाये. यद्यपि सभी ज्योतिष में विश्वास करने वाले ऐसे नहीं हैं. कई लोग जिन्हें मैं जानता हूँ, उन्हें ज्योतिष पर विश्वास है परंतु पुरुषार्थ पूरा करते हैं. समस्या वहाँ है जहाँ लोग लोग बिना कर्म किये सुख चाहते हैं. वही घातक है. उदहारण के लिए बच्चों को ग़लती करने पर डाँटना न पड़े, परंतु वो सुधर जाएं या फिर पाठ (भगवान का) करने से परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाएं. जीवन सफल करने का वास्तविक रहस्य तो वही है जो भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन से कहा था. कर्मयोग का मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है परंतु यह मार्ग बड़ा कठिन है. ज्योतिषी के बताये उपाय बड़े सरल है. उसमें भी कोई पाठ करने को मिल जाये तो और भी अच्छा हो जाये. पाठ अथवा जप में तो एक बड़ा सुन्दर विकल्प भी मिलता है कि स्वयं के पास समय नहीं है तो किसी पुजारी से करवा लो. ज्योतिष में मुझे भी विश्वास है परंतु मेरा ऐसा मानना है कि यदि ज्योतिष किसी को भ्रम में डाले, कर्म करने से रोके, आलसी बनाये, व्यर्थ ही भयभीत करे तो बेहतर है कि ऐसा व्यक्ति ज्योतिष में विश्वास ही न करे. |
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November 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |