![]() पंचक क्या है? जब चन्द्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपदा, उत्तरा भाद्रपदा और रेवती नक्षत्रों से अर्थात कुम्भ और मीन राशि से गोचर कर रहा हो उस स्थिति को पंचक कहते हैं. पंचक शब्द का साधारण अर्थ पांच का समूह बताया गया है. पंचक के सम्बन्ध में तरह तरह की बातें की जाती हैं. उदहारण के लिए, जो काम पंचक में हुआ वो पांच बार होगा, जैसे कन्या हुई, तो अगली पांच संतानें कन्या होंगी. इस प्रकार की बातें लोग आँख मूँद कर मान भी लेते हैं और थोड़ा बढ़ा चढ़ा कर प्रचारित भी करते हैं. एक और बात यह है कि धनिष्ठा पूरा का पूरा कुम्भ में हो ऐसा भी नहीं है. उसका कुछ भाग तो मकर में ही पूरा हो जाता है. क्या नहीं करना चाहिए पंचक में?
पंचक में सिर्फ कुछ ही बातें हैं जिन पर रोक है. कुछ लोग पंचक को हर काम के लिए अशुभ मान लेते हैं किन्तु हर काम पंचक में अशुभ हो ऐसा आवश्यक नहीं. कुछ विशेष पंचक के सम्बन्ध में भय प्रचलित हैं: धनिष्ठा - अग्नि भय शतभिषा - कलह पूर्व भाद्रपदा - रोग भय उत्तरा भाद्रपदा - धन हानि रेवती - धन हानि कब होता है पंचक? चन्द्रमा जितने समय में १२ राशियों का भ्रमण करता है, उतने समय को चंद्रमास कहते हैं. यह लगभग २७ दिनों का होता है. इसका अर्थ यह हुआ की हर महीने में एक बार तो पंचक लगेगा ही. ऐसा भी कहा जाता है कि यदि पंचक में कोई कार्य करना अत्यन्त आवश्यक हो जाए, अर्थात टाला न जा सके तो पंचक के दोष की शांति अवश्य करा ली जाए. किसी भी विश्वसनीय पंचांग में आपको पंचक की अवधि का पता लग जायेगा. |
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November 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |