ग्रहों के राजा सूर्य का प्रताप इतना है कि कोई ग्रह सूर्य के तेज के आगे ठहर नहीं पाता. सूर्य की निकटता पाकर सभी ग्रह अस्त हो कर विकल हो जाते हैं. मतान्तर से, अस्त ग्रह दुष्ट फल देते हैं. एक पत्रिका मेरे सामने आयी थी जिसमें विवाह के योग तो थे परन्तु शुक्र अस्त था. जातक ४० का हो चला है परन्तु अभी तक विवाह से दूर है. इसी प्रकार एक अन्य व्यक्ति की पत्रिका में गुरु के अस्त होने पर जातक को अच्छे गुरु या तो मिले नहीं अथवा मिले तो लाभ थोड़ा ही मिला. ज्योतिष जीवन से बहुत अलग नहीं है. अस्त ग्रह कैसे फल देंगे इसकी अपने जीवन में कल्पना कर देखा जा सकता है. कोई व्यक्ति सफल हो जाये तो बहुत लोग दुष्टता पर उतारू हो जाते हैं और कई लोग विकल हो जाते हैं. दूसरे की चमक देख कर अपने को फीका महसूस करने लगते हैं. ऐसा अनुभव होने पर ऐसे लोग क्या करेंगे यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी समाज में स्थिति क्या है. इसी प्रकार ऐसे ग्रह कैसा फल देंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनकी पत्रिका में स्थिति क्या है. ध्यान देना चाहिए कि ऐसे सभी लोग दूसरे की चमक से एक समान प्रभावित नहीं होते. सबका अपना स्वभाव होता है. सबकी आपसे अपनी दूरी होती है. इसी प्रकार ग्रह भी एक समान दूरी होने पर अस्त नहीं होते. जन्मपत्रिका में चन्द्रमा सूर्य से १२ अंश दूर तक, मंगल १७ अंश, बुध १४ अंश (वक्री हो तो १२°), गुरु ११ अंश, शुक्र १० अंश (वक्री हो तो ८°) और शनि १५ अंश दूर तक अस्त रहता है. राहु और केतु ही हैं जो सूर्य से अस्त नहीं होते अपितु सूर्य को ही ग्रहण लगा देते हैं. सूर्य सत्य का प्रतीक हैं जबकि राहु कपटी है. भ्रष्ट है. पाखण्डी है. केतु की वाणी विष से भरी है. केतु वैरागी है. कर्त्तव्य से दूर करता है. अत्याचारी है. एक अच्छा राजा सदैव भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से दूर रहते हुए अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहता है. जहाँ वातावरण में झूठ, पाखण्ड, कपट, पसरा हो वहाँ अच्छे राजा की राह भी कठिन हो ही जाती है. यह दोनों छाया ग्रह हैं. दीखते नहीं परन्तु प्रभाव गहरा छोड़ते हैं. राहु-केतु का संग मिलने से सूर्य दोषग्रस्त हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति को ज्योतिषी से पूछ कर उपाय करना चाहिए कि उसके यश की हानि न हो. उसका शरीर स्वस्थ बना रहे. यदि ज्योतिषी ढूँढने में कठिनाई हो तो दूसरों की निन्दा से, आलस्य से, गाली देने आदि से ऐसे व्यक्ति को बचना चाहिए. धूम्रपान से बचे. सूर्य की पहचान उसके उत्तम चरित्र से है. उसके तेज से है. ऐसे व्यक्ति को चाहिए कि उत्तम चरित्र धारण करे. प्रातःकाल उठकर भगवान सूर्यनारायण को नमस्कार करे तथा सत्त्वगुण अपनाये. सत्त्वगुण क्या है यह भगवान् श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में बहुत अच्छे से समझाया है. सूर्य द्वारा अस्त प्रत्येक ग्रह कैसे फल देता है इस पर कभी और विस्तार में कुछ लिखूँगा. |
Archives
October 2020
Categories
All
Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |