मैंने कई ज्योतिषियों को अपनी पत्रिका दिखाई - सब बेकार. कोई भी मेरे मानकों पर उत्तीर्ण नहीं हो सका. जब इस प्रकार की बात ज्योतिषी के आगे कही जाती है तो प्रायः इसके दो उद्देश्य होते हैं - (१) अपना अहंकार पोषित करना - कोई मेरे विषय में आज तक कुछ विशेष नहीं बता सका, अथवा कोई मेरी समस्या का समाधान नहीं कर सका. मैं कितना महान हूँ. (२) ज्योतिषी के अहंकार पर चोट करना - जब कोई नहीं बता पाया, क्या तुम बता सकोगे? क्या तुममें वो सामर्थ्य है? कुछ लोग थोड़ा अलग ढंग से शुरू करते हैं. वे जान बूझकर ज्योतिषी के सामने कहते हैं - "मुझे ज्योतिष में कुछ विश्वास नहीं. यह बकवास विद्या है. अन्धविश्वास है. मुझे आज तक कोई ज्योतिषी नहीं मिला जो मेरे बारे में कुछ आश्चर्यजनक बता सका हो". वैसे दो बातें और भी हैं जो हो सकती हैं - (१) व्यक्ति ज्योतिषी से चमत्कार की आशा करता हो और वो न मिले अथवा (२) व्यक्ति को वास्तव में कोई ढंग का ज्योतिषी न मिला हो जो कि कोई बड़ी बात नहीं आज के समय में केवल ज्योतिषी ही नहीं अपितु हर कोई स्वयं को श्रेष्ठ बताने में लगा है. नौकरी और व्यापार में "expert", "proficient", "skilled", "specialist", आदि शब्दों का प्रयोग बड़े हल्के में होने लगा है. ऐसे में ज्योतिषी भी "professional" होने लगें तो क्या बड़ी बात है और जब सभी स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ बता रहे हों तो क्या पता कौन वास्तव में गुणी है. कई लोग जो दूरदर्शन (TV) के माध्यम से ज्योतिषियों को परखते हैं वे भी इस प्रकार की बातें करते पाए जाते हैं. ज्योतिष का अर्थ चमत्कार नहीं होता. ज्योतिष तो बस व्यक्ति के छुपे हुए भविष्य और भूत पर प्रकाश डालता है. और प्रकाश कैसे. जैसा व्यक्ति का चरित्र होगा वैसा ही भूत होगा और वैसा ही भविष्य. इसी प्रकार वर्त्तमान का पता चलता है. इतनी सी बात है. कई लोग अपने चरित्र के विषय में कुछ नहीं सुनना चाहते. उन्हें केवल उपाय चाहिए होता है. परन्तु समाधान तो भीतर ही है. मछली को आटा डालने में या कुत्ते को रोटी डालने में कोई बुराई नहीं परन्तु उसके पीछे कारण क्या है यह कोई नहीं समझना चाहता. एक व्यक्ति मेरे पास आये जिनका पारिवारिक जीवन क्लेशपूर्ण था. प्रतिदिन घर में होने वाली कलह से वे त्रस्त थे और उपाय चाहते थे. उनको मैंने कहा कि आपको आपके क्रोध का कुछ उपाय करना चाहिए. उन्होंने सुनते ही कहा, "मैं जानता हूँ आप मेरे मंगल को देख कर ऐसा कह रहे हैं परन्तु मेरी कहीं भी चूक नहीं होती. मेरी पत्नी ही वास्तव में दोषी है जो अपनी अपनी चलाने का प्रयास करती है." उन महाशय ने जाने कहाँ से सुना होगा कि मंगल व्यक्ति में क्रोध भरता है तो उन्होंने मुझे भी वही बता दिया परन्तु कोई मुझे बताये - क्या राहु क्रोधी नहीं होता, क्या सूर्य क्रोधी नहीं होता, क्या चन्द्रमा और बुध का क्रोध से कोई सम्बन्ध ही नहीं है? ऐसे व्यक्ति जब ज्योतिषी के पास जाते हैं तो प्रायः निराश हो कर ही लौटते हैं और फिर कहते हैं कि कोई ज्योतिषी उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाया. मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूँ और नौकरी के चलते मेरे पास इतना समय भी नहीं होता कि मैं पत्रिकाएँ देख सकूँ. पहले कभी पत्रिकाएँ देखा करता था और अब केवल कोई प्रिय व्यक्ति (स्नेहवश जिसे मना कर पाना कठिन जान पड़े) कुछ कहता है तो देखने का प्रयास करता हूँ अन्यथा नहीं. ज्योतिष मेरा प्रिय विषय है और भविष्य में कभी ईश्वर ने चाहा तो अवश्य ज्योतिषी बनूँगा परन्तु अभी तो केवल लेखों के माध्यम से जो गुरुजनों से सीखा है और जो संसार में देखता हूँ उसे औरों से साझा करता हूँ. ध्यान दें - टेलीविज़न को हिंदी में दूरदर्शन कहते हैं. इस लेख में लिखे "दूरदर्शन" को कोई एक टीवी चैनल न समझें. |
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October 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |