शनि के दो ही मित्र हैं. एक शुक्र है और दूसरा बुध. दोनों में से किसी में भी शनि जैसी गंभीरता नहीं है परन्तु फिर भी मित्रता गहरी है. इस लेख में शनि और बुध पर विचार करेंगे. दुःख अथवा संघर्ष का समय चल रहा हो तो व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए कि जितना हो सके कम बोले. यदि बोलना भी पड़े तो बहुत सोच विचार कर ही कुछ मुँह से निकाले. शनि बलवान हो तो ऐसा होता भी है परन्तु जिसकी पत्रिका में शनि बिगड़ा हुआ हो और बुध तथा द्वितीय स्थान को प्रभावित कर रहा हो ऐसा व्यक्ति व्यर्थ बोलता है और अपमानित होता है. ज्योतिष में शनि को विपत्ति तथा दुःख का कारक माना गया है और बुध को चतुराई का. बुध से पाण्डित्य है, बुद्धिमत्ता है. शनि से अपमान तथा अपयश है. कैसा भी संकट आ जाये व्यक्ति की बुद्धि ठप्प नहीं होनी चाहिए. बुद्धि ठप्प हुई तो वाणी नियंत्रण से बाहर होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसा हुआ तो अपमान, अपयश तथा विपत्तियाँ सहज ही व्यक्ति के निकट आ जाती हैं. साथी छोड़ कर जाने लगते हैं और व्यक्ति अकेला रह जाता है. शनि एकान्तप्रिय है परन्तु बुध मित्रों से घिरा रहना चाहता है. सम्बन्ध दोनों ही अच्छे बनाते हैं परन्तु शनि स्वभाव में गंभीरता रखता है और बुध विनोद (मज़ाक) से अपने प्रियजनों को प्रसन्न रखता है. वाद-विवाद में दूसरों को चुप कराना बुध को खूब आता है. सहज ही मधुर वाणी बोलने वाला बुध अपना समय आमोद-प्रमोद के स्थानों में बिताना चाहता है. ऐसे स्थानों में दुःख का सहसा कोई काम नहीं होता. शनि और बुध दोनों को सत्यवचन प्रिय है. किसी की पत्रिका में शनि और बुध बलवान हों तो ऐसे व्यक्ति सहसा झूठ नहीं बोलते. पत्रिका में बुध को यदि शनि का शुभ सहयोग मिले तो बुद्धि को स्थिरता मिलती है. शनि प्रभावित व्यक्ति में एक लगन होती है. बुद्धि भटक न जाये इसलिए उस पर नियंत्रण होना आवश्यक हो जाता है. मैं ऐसे कई बुध प्रभावित व्यक्तियों को जानता हूँ जो अनेक विषयों में भटकते रहने के कारण जीवन में कुछ नहीं कर पाए. बुध और शनि वास्तव में एक दूसरे के पूरक हैं इसलिए दोनों मित्र हैं. शुभ फलों की प्राप्ति के लिए दोनों का बलवान होना आवश्यक है अन्यथा फल अशुभ मिलेंगे. इसे ऐसे समझिये - अशुभ शनि नीच, काले मन के लोगों को बताता है और बुध युवराज है. यदि युवराज नीच व्यक्तियों के साथ उठेगा बैठेगा तो उसके स्वभाव में भी वही आएगा क्योंकि व्यक्ति जिसके साथ रहता है उसके गुण दोष भी ग्रहण करता है. कलुषित मन वाले के साथ बैठेगा तो कभी न कभी ठगा जायेगा. शनि दास (नौकर) है और उपासना की पटुता बुध से है. शनि में लगन है और बुध पाण्डित्य देता है. शनि और बुध नैसर्गिक मित्र तो हैं ही परन्तु यदि बलवान हो कर पत्रिका में अच्छे मित्र की भाँति शुभ योग कर रहे हों तो कठिन से कठिन समय भी व्यक्ति का कुछ नहीं बिगड़ सकता. |
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October 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |