कुछ दिन पहले कहीं एक चर्चा में एक सज्जन चंद्र का महत्त्व बताते हुए कहने लगे कि चंद्र तो मन है और मन नहीं तो कुछ नहीं. सूर्य तो केवल आत्मा है. आत्मा क्या करेगी. वह तो व्यक्ति को मात्र जीवित रखती है और इससे अधिक क्या. मन तो जीवन चलाता है. कभी कभी ऐसा लगता है कि ज्योतिष में रूचि रखने वाले लोग जन्मपत्रिका में सूर्य की स्थिति की ओर अधिक ध्यान नहीं देते. कई बार जब जन्मपत्रिका देखने को मिलती है तो (पहले से ही ज्ञानी) प्रश्नकर्ता शनि, राहु, मंगल आदि को ले कर चिंता जताता है परन्तु उसे पता भी नहीं होता कि वास्तव में उसके जीवन में मचे उपद्रव का कारण उसकी पत्रिका में बिगड़ा हुआ सूर्य है. शनि, मंगल का इतना चर्चा है कि कई लोगों को तो बताने पर भी समझ नहीं आता कि उपाय सूर्य का करो. जो लोग हिन्दू धर्म में रूचि रखते हैं उन्हें पता ही है कि सूर्य का हिन्दू धर्म में क्या स्थान है. गायत्री मंत्र जो कि सभी मंत्रों में श्रेष्ठ माना जाता है, वास्तव में सूर्य की ही आराधना है. ऐसा कहते है कि गायत्री मंत्र सिद्ध कर लेने वाले के सभी कार्य स्वतः ही सिद्ध हो जाते है एवं व्यक्तित्त्व तेजोमयी हो जाता है. सूर्य प्रकाश का कारक है. जीवन को प्रकाशमान करता है. व्यक्ति को आरोग्य देता है, शक्ति देता है, उत्साह, धैर्य और साहस देता है. कुल मिला कर यह कहें कि सुख देता है तो अनुचित नहीं होगा. सूर्य राजा है अतः नीतिनिपुण है. शुभ और अशुभ में अंतर सूर्य को पता है अतः अपना भला किसमें है इसका विचार करते हुए सूर्य को भी देखना चाहिए. सूर्य क्षत्रिय है. युद्ध में विजय प्राप्त करना उसे आता है. आज के समय में युद्ध का प्रकार बहुत कुछ बदल गया है. सूर्य को युद्धनीति का ज्ञान तो है परन्तु घटिया स्तर के काम सूर्य को पसंद नहीं. कभी कोई ऐसा प्रश्न आये कि अमुक व्यक्ति पर विजय प्राप्त होगी अथवा नहीं तो जाँच लेना चाहिए कि युद्ध/संघर्ष किस प्रकार का है. हो सकता है शनि/राहु पर विचार करने की भी आवश्यकता पड़े. सूर्य आत्मा है अतः श्रेष्ठ है, सत्य है. सूर्य प्रभावित व्यक्ति को सत्य बोलना प्रिय होता है. मंदिर जाना, ब्राह्मणों का सम्मान करना, हवन/पूजन आदि में उसका झुकाव किसी की भी समझ में आ सकता है. दान धर्म करना प्रायः सूर्य प्रभावित लोगों में सहज ही देखा जाता है. सूर्य पिता का कारक है अतः कठोर तो है परन्तु उतना ही कोमल भी है. अपने घर को सुचारु रूप से चलाने के लिए उसे कठोर होना पड़ता है. प्रायः कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं. जब राजा होता है तो अपराधियों को दण्ड भी देना पड़ता है अन्यथा अव्यवस्था अपने पाँव पसार लेगी. इसलिए दुष्टों के लिए सूर्य क्रूर भी है. पत्रिका में सूर्य बिगड़ा हुआ तो देखने में आता है कि व्यक्ति को यश नहीं मिलता. अधिकारियों से सम्बन्ध कैसे रहेंगे यह भी बहुत कुछ सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है. राजसेवा, राजसम्मान तथा राजदण्ड आदि का विचार भी सूर्य से किया जाये तो अनुचित नहीं. जन्मपत्रिका में सूर्य लग्न और दशम का कारक है. यह दो स्थान पत्रिका के सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है. ऐसे में कोई सूर्य का विचार किये बिना फलादेश करे तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि उस फलादेश में कितनी गहराई होगी. |
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November 2018
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |