चन्द्रमा से होने वाले चार योग ऐसे हैं जिनका जन्मपत्रिका में बड़ी ही सरलता से पता लगाया जा सकता है. यद्यपि सरलता से पता चलता है तो भी यह योग साधारण नहीं हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि इनमें सूर्य को छोड़ कर अन्य ग्रहों का ही विचार करना चाहिए अर्थात् इन योगों की बात करें तो सूर्य की स्थिति का चन्द्रमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. १) अनफा योग कोई ग्रह चन्द्रमा से द्वादश में तो हो परन्तु चन्द्रमा से द्वितीय में कोई न हो तो अनफा योग बनता है. जिसकी जन्मपत्रिका में ऐसा योग हो वह व्यक्ति समाज में खूब मान सम्मान प्राप्त करता है, चरित्र से उत्तम, शरीर से स्वस्थ, देखने में सुन्दर और साधन संपन्न होता है. २) सुनफा योग अनफा में चन्द्रमा से द्वितीय में कोई नहीं था परन्तु द्वादश में कोई ग्रह था. सुनफा योग तब बनता है जब चन्द्रमा से द्वादश में कोई ग्रह नहीं होता और द्वितीय में कोई ग्रह होता है. कहते हैं ऐसा व्यक्ति राजा के सामान वैभवशाली होता है. धन और यश ऐसे व्यक्ति को प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है. ३) दुरुधरा योग जब चन्द्रमा से दोनों ओर (अर्थात द्वितीय और द्वादश में) कोई न कोई ग्रह हो तो उस स्थिति को दुरुधरा योग कहते हैं. जैसे शुभ फल अनफा और सुनफा के कहे गए हैं, लगभग वैसे ही फल दुरुधरा योग वालों को भी प्राप्त होते हैं. ४) केमद्रुम योग केमद्रुम योग को ज्योतिष में साधारणतः अशुभ योगों की श्रेणी में रखा जाता है. जब चन्द्रमा के दोनों ओर (अर्थात द्वितीय और द्वादश में) कोई भी ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है. कई लोग केमद्रुम दोष के भंग होने की स्थितियां भी बताते हैं [जैसे केंद्र में (लग्न से अथवा चंद्र से) कोई ग्रह हो, चन्द्रमा के साथ कोई ग्रह हो आदि] परन्तु लेखक के अनुभव में तो केमद्रुम दोष के भंग होने जैसा कुछ आया नहीं. इतना अवश्य देखने में आया कि पत्रिका में घटित होने वाले अन्य योगों के फलस्वरूप इस योग के परिणाम थोड़े ढक गए. यूँ तो कहते हैं कि इस योग में जन्मने वाला व्यक्ति दरिद्र, दुःखी, त्रस्त, तिरस्कृत आदि होता है परन्तु अनुभव में यह देखने में आता है कि ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से दुर्बल होता है. अपने को सदा अकेला पाता है. कोई साथ मिला भी तो अधिक टिकता नहीं. छोटी छोटी से बात पर चिंताग्रस्त हो जाता है और पता नहीं चलता इस व्यक्ति को कब किस बात का बुरा लग जाये. यह सब बातें सुनने में बहुत छोटी लग रही होंगी परन्तु जो ऐसी स्थिति में होते हैं वही समझ सकते हैं कि यह कितनी कठिन समस्या है. ऐसे व्यक्ति के लिए सफल होना कठिन ही होता है. अंत में पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि चन्द्रमा एक तीव्र गति ग्रह है. एक मास में कितनी ही बार ऐसे योग घटित होते होंगे और न जाने कितने ही लोगों की कुण्डलियों में अनफा, सुनफा अथवा दुरुधरा योग बनते होंगे परन्तु क्या सभी लोग राजा के सामान वैभवशाली होते हैं? इन योगों में कौन सा ग्रह हो, किस स्थिति में हो, चन्द्रमा किस स्थिति में हो इत्यादि बातों का उल्लेख नहीं मिलता. केवल चन्द्रमा के द्वितीय और द्वादश में ग्रह होने मात्र से व्यक्ति को सब कुछ मिलेगा ऐसा कह दिया गया है. कई बार हम शब्दों को इतनी सख्ती से पकड़ लेते हैं कि भाव को एक ओर कर देते हैं. चन्द्रमा मन का कारक है यह सोचकर ऊपर लिखे योगों के विषय में विचार करेंगे तो समझ आने लगेगा कि क्यों इन योगों को अच्छा अथवा बुरा बताया गया है. समझ आएगा कि क्यों केमद्रुम वाले को राजा के घर में पैदा होने पर भी दरिद्र कहा. मन के हारे हार है मन के जीते जीत. |
Archives
October 2020
Categories
All
Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |