कुंडली मिलान या जन्मपत्रिका मिलान के सम्बन्ध में जितने लोग उतने विचार हैं. बहुत से लोग इसे नहीं मानते और (विवाद के लिए) कुछ उदहारण भी सदैव अपने पास रखते हैं. कई लोग वेद-पुराणों में इसका वर्णन न होने का दावा करते हैं. कई लोग जो मानते है और जो नहीं मानते वे भी इतनी चतुराई से कुंडली मिलान की प्रथा का अपने हित में प्रयोग करते हैं कि अकारण ही ज्योतिष विद्या को अपयश मिलता है. यह लेख इसी विषय पर आधारित है. राक्षसराज मूरा का भगवान श्री कृष्ण द्वारा वध किये जाने पर उसकी पुत्री कामकण्टका प्रतिशोध लेने युद्धभूमि में आई. कामकंटका देवी कामाख्या की परमभक्त थी. उसने तपस्या द्वारा देवी कामाख्या से अजेय होने का वर प्राप्त किया हुआ था. उसने युद्धभूमि पर अद्भुत कौशल दिखाया परन्तु भगवान कृष्ण के आगे उसकी एक न चली. उसके समस्त वार विफल हो गए तब भगवान श्री कृष्ण ने उसका अंत करने को सुदर्शन चक्र प्रकट किया. तभी देवी कामाख्या ने प्रकट हो कर भगवान श्री कृष्ण से उसका वध न करने की प्रार्थना करी. देवी कामाख्या ने कामकंटका को भगवान श्री कृष्ण की वास्तविकता का बोध कराया जिससे उसका ह्रदय परिवर्तन हुआ. भगवान श्री कृष्ण ने देवी कामाख्या की प्रार्थना पर उसका विवाह महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच से सुनिश्चित किया. यह सब युद्धभूमि पर हुआ. जितने भी विवाह सम्बन्धी पौराणिक प्रसंग साधारणतः सुनने में आते हैं उनमें से अधिकांश में कुंडली मिलान का कहीं वर्णन नहीं मिलता. स्वयंवर द्वारा होने वाले विवाह में तो कन्या को यह पता भी नहीं होता था कि उसका पति कौन होगा. भगवान राम और सीता का विवाह भी स्वयंवर से ही हुआ था. माता पार्वती और भगवान शंकर के विवाह में भी कुंडली मिलान का कहीं वर्णन नहीं है. हाँ, तुलसीदास रचित रामचरित मानस में पार्वती का भविष्य (हाथ) देखने का प्रसंग अवश्य आता है. परन्तु भगवान शंकर की पत्रिका या हाथ तो किसी ने नहीं देखा. तो क्या इस से यह प्रमाणित हो जाता है कि कुंडली मिलान एक अन्धविश्वास है? क्या कुंडली मिलान नहीं करना चाहिए? निम्नलिखित बातों पर ध्यान दीजिये और स्वयं विचार कीजिये: क्या कुंडली सही है? निर्जन के बेटे का विवाह नहीं हो रहा था. जितने भी लड़कीवाले आते सभी मांगलिक की मांग करते थे. प्रचलित मान्यता के अनुसार मंगली का मंगली (मांगलिक) से विवाह स्वीकार्य है. लड़का मांगलिक नहीं था. बड़ी समस्या हो गयी! निर्जन ने सोचा क्यों न जन्मपत्रिका (कुंडली) ही दोबारा बनवा ली जाये. लड़के में तो कोई कमी है नहीं. ग्रह इधर उधर हो गए तो क्या, लड़के का घर तो बस जायेगा. पंडितजी से बात कर के उसने मांगलिक योग वाली पत्रिका तैयार करवा ली. अब उसके पास दो पत्रिका थीं. अगर कोई मांगलिक होता तो वो मांगलिक वाली दिखा देता, नहीं होता तो दूसरी दिखा देता. अब सोचिये, तब क्या हो जब दोनों ही पक्ष नकली कुंडलियां लेकर बैठे हों. क्या कुंडली मिलाने/मिलवाने का आपका तरीका सही है? श्री श्री रविशंकर ने एक साक्षात्कार में कहा था, "Astrology is a science but all astrologers are not scientists". (ज्योतिष एक विज्ञानं है, किन्तु सारे ज्योतिषी वैज्ञानिक नहीं). यह बात सही भी लगती है. कई ज्योतिषी गुण मिलान के आगे कुछ देखते ही नहीं. ग्रह मिलान तो बहुत से ज्योतिषी करते ही नहीं. ऐसा नहीं कि सारा दोष ज्योतिषियों का ही है. पंडित भीमसेन जोशी ने एक बार अहमद जान थिरकवा के सम्बन्ध में बताया था कि वो इतने महान तबला वादक थे कि तबला बजाते बजाते गाने वाले को बता देते थे कि महाशय ऐसे गाइए. वो तो खैर वास्तव में बहुत महान तबला वादक थे, परन्तु कई लोग जो ज्योतिषी के पास आते हैं, वो स्वयं को इतना महान ज्योतिषी समझते हैं कि ज्योतिषी को ही समझाने बैठ जाते हैं कि कैसे पत्रिका देखें. कई लोग तो ज्योतिषी के पास जाते ही नहीं. कभी उनके शुल्क के भय से, हर किसी पर जल्दी से विश्वास न होने से तो कभी ठग लिए जाने के भय से. ऐसे में वो लोग सॉफ्टवेयर पर खुद ही जांच लेते हैं कि कितने गुण मिल रहे हैं. १८ से अधिक मिल रहे हैं तो पत्रिका मिल रही है. मांगलिक के लिए भी सभी को पता है कौन मांगलिक होता है और कौन नहीं. अन्य मिलान सम्बन्धी विषयों पर कोई ध्यान नहीं देता. एक और बड़ा कारण बीते कुछ वर्षों में प्रेम विवाह के प्रति लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ा है. उनमें से एक बहुत बड़ा वर्ग कुंडली मिलान का विरोध करता है. और करे भी क्यों न? बीते वर्षों में ही लोगो का ज्योतिष की ओर भी रुझान बहुत बढ़ा है. कई बार माता पिता को विवाह से आपत्ति होती है तो वे कुंडली मिलान की आड़ लेते हैं लेकिन युवा पीढ़ी भी कोई कम नहीं. कई प्रेमी प्रेमिका पहले ही पंडित से बात कर लेते हैं कि कुंडली के कारण कहीं विवाह न रुक जाए. जैसे, पैसे ले कर रोग का प्रमाण पत्र (मेडिकल सर्टिफिकेट) बनाने वाले चिकित्सकों की संसार में कोई कमी नहीं, ऐसे ही पैसे लेकर पत्रिका बनाने वाले पंडित भी संसार में मिल ही जाते हैं. ज्योतिष एक विज्ञानं है, किन्तु सारे ज्योतिषी वैज्ञानिक नहीं. यह भी आवश्यक नहीं कि ज्योतिषी के पास आने वाले सारे लोग भी निष्कपट या ईमानदार हों. अंत में ![]() कुंडली मिलान कोई ३६/१८ का साधारण गणित नहीं. न ही इसका विस्तार एकमात्र मांगलिक योग तक सीमित है. वास्तव में यह एक जटिल प्रक्रिया है और उचित प्रकार से पत्रिका मिलाने पर परिणाम शुभ ही मिलते हैं. ज्योतिषी को चाहिए कि वह कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले अपने यजमान को समय दे. और यजमान को भी चाहिए कि धैर्य रखे. इस सबमें जो सबसे जटिल कार्य है, वो है सही ज्योतिषी ढूंढना. उसके बिना सब व्यर्थ है. |
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October 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |