उन राहु को हमारा प्रणाम है जिन्होंने सिंहिका के गर्भ से जन्म लिया. राहु महावीर्यवान् है अतः व्यक्ति के शरीर में बल की वृद्धि करता है परन्तु राहु का देह पूर्ण नहीं हैं (क्योंकि मस्तक तो केतु है). अतः राहु दूसरे पर निर्भर है. लग्न में राहु शुभ स्थिति में न हो तो व्यक्ति को दूसरे पर निर्भर होना पड़ता है. फिर वह अपनी मूर्खता से हो अथवा आलस्य के कारण. आलस्य, दुःख, निन्दा, मूर्खता आदि अशुभ गुण जो शनि में देखने को मिलते हैं वह राहु में भी देखे जा सकते हैं. यदि राहु शुभ और बलवान् हो तो जातक दूसरे से काम निकलवाने में कुशल होता है. ऐसा व्यक्ति अच्छा राजनेता भी हो सकता है. राहु दैत्य है और दैत्य तो बल के लिए जाने गए हैं. लग्न का राहु शरीर में बल की अधिकता करता है. समस्या यह है कि राहु अर्धकाय है. अतः अच्छा यही हो कि लग्नस्थ राहु वाले व्यक्ति को पता हो कि बल का क्या करना है अन्यथा वह उसका दुरुपयोग ही करेगा अथवा अपने परिजनों को विचित्र परिस्थितियों में डालेगा. लग्न का राहु व्यक्ति को कई बार परस्त्रीगमन अथवा वेश्यावृत्ति की ओर प्रवृत्त करता भी देखा गया है. देखने में यह भी आया है कि लग्न का अशुभ राहु अच्छी शिक्षा से व्यक्ति को दूर रखता है. जगत् को प्रकाशित करने वाले मुख्य दो ग्रह हैं - सूर्य और चन्द्र. इन दोनों से ही राहु की शत्रुता है. जब प्रकाश करने वाले से ही शत्रुता कर ली तो फिर तो जीवन में अन्धकार ही व्याप्त होगा. लग्न में अशुभ राहु वाले व्यक्ति को कोई कितना भी ज्ञान रूपी प्रकाश देना चाहे उसे समझ नहीं आएगा. बातें बनाने में ऐसे लोग कुशल होते हैं. जो इन्हें समझाने गया वह ठगा सा ही लौटेगा अथवा यह उसे ही ठग लेंगे परन्तु शुभ हुआ तो बुद्धिमानी तथा वाद विवाद में कुशलता का सदुपयोग देखने को मिलेगा.
सिंह राशि के राहु को लग्न में बहुत लोगों ने अच्छा माना है परन्तु देखना चाहिए कि लग्न लग्नेश की स्थिति क्या है. तभी शुभ फल होगा. मेरे एक मित्र के लग्न में सिंह राशि के शनि और राहु हैं. उनके माता पिता बीते १८ वर्षों से इस बात से चिन्तित हैं कि लड़का व्यर्थ इधर उधर भटकता है कोई पक्का काम नहीं करता. जो करता है उसमें सफल नहीं होता. विवाह कैसे हो? इत्यादि. साहस राहु में बहुत है अतः लग्न के राहु वाले व्यक्ति में साहस प्रचुर मात्रा में देखने को मिलता है. शुभ हो तो शुभ कार्य के लिए साहस करता है और बहुत सफलता प्राप्त करता है. अशुभ हो तो व्यर्थ कामों में साहस करता है और रोग / कष्ट प्राप्त करता है. लग्न बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है अतः राहु के शुभ फल प्राप्त हों इसके लिए लग्न / राहु पर शुभ प्रभाव होना आवश्यक है. लग्नेश शुभ फल देने में समर्थ हो तो राहु के अशुभ फलों में कमी आती है. पत्रिका में बुध / गुरु / सूर्य / चन्द्र का बलवान होना भी राहु के अशुभ फलों को कम करता है. मेष, वृष, कर्क, सिंह, कन्या में अच्छे फल कहे जाते हैं परन्तु शुभ युति, दृष्टि आदि में होना चाहिए. |
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October 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |