स्वस्तिवाचन के समय सूर्य, इन्द्र, गरुड़ के अतिरिक्त ब्राह्मण जिनका नाम लेते हैं उन बृहस्पति को नमस्कार है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर देवगुरु बृहस्पति का ध्यान करते हुए उनके विषय में कुछ शब्द लिखता हूँ. यूँ तो बुद्धि का कारक बुध है परन्तु व्यक्ति पर गुरु की कृपा न हो तो ज्ञान नहीं मिलता अथवा ज्ञान खोखला होता है. ज्ञान हो तो व्यक्ति को अच्छे बुरे की समझ होती है. व्यक्ति अच्छे कर्मों की ओर प्रवृत्त होता है. इन्द्रियों पर संयम रखता है. धर्म में आस्था रखता है और ब्राह्मणों का सम्मान करता है (ब्राह्मण क्या होता है यह जानने के लिए कृपया श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करें). कई लोग भक्ति अथवा श्रद्धा का दिखावा करते हैं. ऐसे लोगों की पत्रिका में बृहस्पति की स्थिति देखते ही समझ आ जाता है कि ढोंग है अथवा श्रद्धा. लग्न, नवम और दशम भाव में बृहस्पति की स्थिति बहुत शुभ समझी जाती है. धन स्थान एवं पंचम में भी गुरु को अच्छा मानते हैं. अच्छा बुरा अपने अपने अनुभव के आधार पर होता है. कई लोग "कारकोभावनाशाय" के सिद्धांत पर चलते हुए बृहस्पति की स्थिति कई अच्छे स्थानों में भी अच्छी नहीं मानते. सबकी अपनी विचारधारा है और अपना अनुभव है. चन्द्रमा पर यदि गुरु का प्रभाव हो तो और अच्छा क्योंकि चन्द्रमा मन है. इसी प्रकार बुध पर गुरु का शुभ प्रभाव हो तो फिर तो व्यक्ति विद्वानों में भी पूजनीय हो जाता है. गुरु की कृपा से व्यक्ति को ज्योतिष का ज्ञान होता है, मंत्री पद प्राप्त होता है, सम्मान मिलता है, और लोगों के बीच मुखिया के रूप में स्वीकृति मिलती है. गुरु जन्मपत्रिका में अत्यंत महत्त्वपूर्ण ग्रह है. सूर्य और चंद्र के बाद वह गुरु ही है जो पत्रिका के सारे दोषों को हर लेने की क्षमता रखता है. अपने सुचरित्र और ज्ञान के बल पर गुरु प्रभावित व्यक्ति सबके मन में घर कर लेता है. गुरु प्रभावित व्यक्ति सबकी उन्नति चाहता है. अकेला आगे नहीं बढ़ता. गुरु माहात्म्य का कारक है अतः व्यक्ति को महान बनाता है. जन्मपत्रिका में धन का विचार करना हो और गुरु का विचार न किया जाये तो फलादेश अधूरा ही रहेगा. गुरु धन का कारक है. ख़ज़ाने का अधिपति गुरु को ही कहा गया है. गुरु पुत्र का भी कारक है. पत्रिका में गुरु निर्बल हो तो पुत्र होने की संभावना या तो कम हो जाती है अथवा पुत्र के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. बृहस्पति को बलवान करना हो तो व्यक्ति को चाहिए कि सबके प्रति दयाभाव रखे, अच्छे कर्म करे, ईश्वर में आस्था रखे, भक्ति करे, गुरु को आदर दे, पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करे अथवा कुछ समय बिताये, मंदिर जाये और सज्जन लोगों का सम्मान करे. कुकर्म करने से बृहस्पति का बल कम होता है. मुझे याद है एक बार मैंने किसी को कहा था, 'आजतक आपको कभी अच्छे गुरु नहीं मिले. जो भी गुरु मिले वो आपको मूर्ख ही बनाते रहे'. उन्होंने इसे झट से स्वीकार कर लिया था. यह बात मैंने उनकी पत्रिका में गुरु की स्थिति को देख कर ही कही थी. देवगुरु बृहस्पति की कृपा सभी पर हो, सभी को आरोग्य, सुख और धनसंपदा मिले इसी प्रार्थना के साथ और नवग्रह स्तोत्र से जो देवगुरु बृहस्पति का मंत्र मिलता है उसका स्मरण कर इस लेख का यहीं समापन करता हूँ: देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसन्निभं । बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं ॥ |
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October 2020
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Author - Archit
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः I ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. |