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मानव धर्मशास्त्र ग्रन्थ (मनुस्मृति) के अनुसार स्त्रियों को खुश रखने का महत्व 

18/1/2016

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मनुस्मृति अथवा "लॉज़ ऑफ़ मनु" उन प्रथम ग्रंथों में से था जिन्हें आधार बना कर अंग्रेजों ने भारत में हिंदुओं के लिए नियम बनाये थे और एक समय ऐसा भी आया जब यही सबसे विवादित ग्रन्थ भी बन गया. मनुस्मृति उन ग्रंथों में से है जिन्हें आधुनिक युग में विरोध प्रदर्शन के लिए समय समय पर जलाया जाता रहा है.

अच्छे और बुरे की परिभाषा तो परिस्थिति और व्यक्ति विशेष के अनुसार बदलती रहती है. कल जो बुरा था वह आज अच्छा हो सकता है और आज जो अच्छा है वह कल बुरा भी हो सकता है. मनुस्मृति पढ़ते हुए मुझे स्त्रियों संबंधी कुछ वचन बड़े अच्छे लगे. हो सकता है यह किसी व्यक्ति अथवा समूह विशेष को अच्छे न भी लगें परंतु वह उनके विचार हैं.

उदाहरण के लिए - जिन लोगों को जाने के लिए रास्ता देना चाहिए उनमें रोगी, वृद्ध, स्नातक, पालकी में सवार, राजा, दूल्हा (वर) के साथ साथ स्त्री का भी नाम लिया गया है. इस से अनुमान लगाया जा सकता है कि एक समय पर हिन्दू धर्म में स्त्रियों का कितना सम्मान था. समय के साथ बहुत कुछ बदलता है और सभी लोग धर्मपरायण नहीं भी होते परंतु ऐसी नीति तो थी ही.

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5 Most Feared Inauspicious Yogas in Astrology

15/1/2016

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There are some yogas in astrology that are more feared and considered more dangerous or inauspicious than others. I have listed 5 of them in the slides below and defined them and their inauspicious effects in the later part of this article. For example what is Kalsarpa dosha, sade sati, mangal dosha etc. 
Note: The above positions are only for example. The yoga can be different than seen above. For example in Manglik Dosha example slide, Mars is shown in seventh, however, it is equally true for first, second, fourth, seventh, eighth and twelfth house.

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​मकर संक्रांति की महिमा 

15/1/2016

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संक्रांति शब्द का अर्थ कुछ और नहीं, सूर्य का विभिन्न राशियों में भ्रमण अथवा संक्रमण ही है. जब सूर्य का मकर राशि में संक्रमण होता है तब उस तिथि को मकर संक्रांति कहा जाता है. हर दूसरे त्यौहार की तर्ज पर लोग एक दूसरे को हैप्पी मकर संक्रांति कहने लगे हैं, किन्तु वास्तव में यह अवसर मात्र हैप्पी (प्रसन्न) होने के लिए नहीं अपितु दान, उपासना एवं धार्मिक कार्यों आदि के लिए है. 

कहा जाता है मकर संक्रांति में सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान करना श्रेयस्कर है क्योंकि उस समय किया हुआ दान, तर्पण, पूजा आदि अक्षय होती है अर्थात जिसका कभी क्षय न हो, जिसमें कमी ना आये. कहीं किसी पुराण में मैंने पढ़ा था कि सूर्य के अस्त होने के समय एवं सूर्योदय के समय, सूर्य और दानवों के बीच घनघोर युद्ध होता है, ऐसे समय सूर्य की उपासना करने से सूर्य को बल मिलता है और उनकी दानवों पर विजय होती है. 

हमारे यहाँ (भारत में), प्राचीन ग्रंथों में जो बातें बताई गयीं है उनमें अधिकतर बातों के दो अर्थ हैं. एक जो स्पष्ट दीखता है और दूसरा जो छुपा हुआ है अर्थात गूढ़ है. मेरे विचार से इसका अर्थ है कि शरीर में उस समय कुछ बदलाव होते होंगे जो पूजा अर्चना के बल से नष्ट हो जाते होंगे. संभवतः इसे ही सूर्य का दानवों से युद्ध बताया गया हो. वैसे भी सूर्य को पुराणों में आरोग्यदाता कहा गया है. 

कुछ दिनों पूर्व एक पुस्तक मेरे हाथ लगी थी (पुस्तकालय में), जिसमें लेखक ने वेदों में वर्णित सभी देवताओं को शरीर में कहाँ कहाँ स्थित हैं ऐसा दिखाया था. मैंने वह पुस्तक पूरी तो नहीं पढ़ी किन्तु उसमें जो रूद्र का वर्णन था उसके अनुसार रूद्र हमारे शरीर का एक हिस्सा है न कि कोई देवता. यह उसके विचार थे. हमारे ऋषियों ने किस प्रकार का सन्देश देना चाहा था इस ऊहापोह में तो पूरा विश्व लगा है. हमारा काम है श्रद्धापूर्वक कर्म करना.

पद्म पुराण के अनुसार षडशीति की महिमा से अधिक विष्णुपदी और विष्णुपदी की महिमा से अधिक उत्तरायण या दक्षिणायन के आरम्भ होने के दिन पड़ने वाली संक्रांति की है. षडशीति संक्रांति तब होती है जब सूर्य का धनु, मिथुन, मीन और कन्या राशि से संक्रमण हो और विष्णुपदी तब होती है जब सूर्य का वृषभ, वृश्चिक, कुम्भ और सिंह राशि में संक्रमण हो. 

संक्रांति के समय गंगास्नान का महत्त्व जो पुराणों में वर्णित है ​वह तो सबको विदित ही है.
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Captured this sunset view at Harihareshwar (Maharashtra)
​सूर्य की उपासना के लिए ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः, इस मंत्र का उच्चारण बताया गया है. वैसे तो गायत्री की साधना भी मुख्यतः सूर्य की ही उपासना है. नवग्रह स्तोत्र में जो सूर्य का वर्णन आता है उसका भी कई लोग जाप करते है. वो इस प्रकार है:

जपाकुसुमसंकाशं, काश्यपेयं महद्युतिम,
तमोरिसर्वपापघ्नं, प्रणतोSस्मि दिवाकरम्. 


एक योगासन की पुस्तक में मैंने पढ़ा था कि सूर्य के बारह नामों का यदि सूर्य नमस्कार के साथ ध्यान किया जाये तो भी आरोग्यदायक एवं सूर्यदेव की कृपा प्रदान करने वाला होता है. वे बारह नाम इस प्रकार है: 

​ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः 
ॐ भानवे नमः 
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णै नमः 
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः 
ॐ मरीचये नमः 
ॐ आदित्याय नमः 
ॐ सवित्रे नमः 
ॐ अर्काय नमः 
ॐ भास्कराय नमः   

​यह सब मैंने जानकारी के लिए दिया है. कोई भी पूजा पाठ गुरु के निर्देशानुसार करना ही श्रेष्ठ है अतः मेरे विचार से गुरु से पूजा विधि सीख कर पूजा करी जाये तो उत्तम है. कुछ लोग तर्क कर सकते हैं कि मन में श्रद्धा हो तो कोई विधि आवश्यक नहीं. सत्य है. किन्तु मन में श्रद्धा होनी चाहिए, ​श्रद्धा का बहाना नहीं. 
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कालसर्प योग के प्रकार, दोष और पूजा पर विचार 

10/1/2016

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कालसर्प योग क्या है? 
कालसर्प योग तब बनता है जब सारे ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं. कहा जाता है कि ऐसे जातक को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है. उसके बनते काम बिगड़ जाते हैं और कोई काम आसानी से नहीं होता. 

​
कालसर्प योग के प्रकार 
कालसर्प योग बारह प्रकार के बताये जाते हैं और यह राहु केतु की स्थिति के अतिरिक्त और कुछ नहीं. उदहारण के लिए राहु लग्न में और केतु सातवें में हो तो अनंत नामक कालसर्प योग का निर्माण होता है. इस स्थिति में राहु और केतु के जो इन स्थानों में बैठने के परिणाम होंगे वही बताया जाता है. उदहारण के लिए: 


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Kaal Sarpa Yoga (Dosh) - Type, Effects, Remedies, Controversy

8/1/2016

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What is Kalsarpa Yoga (Dosh)?
Kaal Sarpa Yoga (also called Kaal Sarp Dosh) is a combination in a birth chart (horoscope) of an individual when all the planets are between Rahu and Ketu.


​See for example the birth chart with Leo Ascendant. All the planets are trapped between Rahu and Ketu as per the definition of this yoga.

Some astrologers believe in Anshik (partial) Kaal Sarpa Dosh. They say if one planet is out then the effects will be half of the complete Kaal Sarpa Yoga. 


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पंचक क्या है, और पंचक को अशुभ क्यों कहते हैं?

2/1/2016

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पंचक क्या है?
जब चन्द्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपदा, उत्तरा भाद्रपदा और रेवती नक्षत्रों से अर्थात कुम्भ और मीन राशि से गोचर कर रहा हो उस स्थिति को पंचक कहते हैं. पंचक शब्द का साधारण अर्थ पांच का समूह बताया गया है. 

पंचक के सम्बन्ध में तरह तरह की बातें की जाती हैं. उदहारण के लिए, जो काम पंचक में हुआ वो पांच बार होगा, जैसे कन्या हुई, तो अगली पांच संतानें कन्या होंगी. इस प्रकार की बातें लोग आँख मूँद कर मान भी लेते हैं और थोड़ा बढ़ा चढ़ा कर प्रचारित भी करते हैं. 

एक और बात यह है कि धनिष्ठा पूरा का पूरा कुम्भ में हो ऐसा भी नहीं है. उसका कुछ भाग तो मकर में ही पूरा हो जाता है.     


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    इस वसन्त पञ्चमी बुध ग्रह पर कुछ विचार

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    Author - Archit
    लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः
    येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः
     I

    ​ज्योतिष सदा से ही मेरा प्रिय विषय रहा है. अपने अभी तक के जीवन में मुझे इस क्षेत्र से जुड़े बहुत से लोगों के विचार जानने का अवसर मिला. सौभाग्यवश ऐसे भी कई लोगों से मिला जिन्हें इस क्षेत्र में विश्वास ही नहीं था. फ्यूचरपॉइंट संस्था (दिल्ली) से भी बहुत कुछ सीखा और अपने पिताजी से तो अभी भी यदा कदा सीखते ही रहता हूँ. ज्योतिष अच्छा तो बहुत है परंतु इसमें भ्रांतियां भी उतनी ही फैली हुई हैं जिस कारण कभी कभी बड़ा दुःख होता है. नौकरी के चलते ज्योतिष में समय देना थोड़ा कठिन हो जाता है अतः ईश्वर की प्रेरणा से अपने विचारों को प्रकट करने के लिए और इनसे किसी का कुछ भी भला हो सके इसी हेतु लेख लिखा करता हूँ. 

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