ॐ नमः शिवाय
वाणासुर एक महान शिवभक्त था. शिवभक्ति में सदा रत रहने के साथ ही वह ह्रदय से भी उदार था. महात्मा दैत्यराज बलि के इस पुत्र, बाणासुर का असुर होने पर भी समाज में बड़ा आदर किया जाता था. वह सहस्त्रबाहु था और इंद्र को भी जीत चुका था. शिवभक्त तो वो था ही. एक दिन भगवान शंकर ने उस पर प्रसन्न हो कर जब उसे वरदान मांगने को कहा तो उसने शिव से अपनी रक्षा करने का वार मांग लिया. इसी वाणासुर का आगे जा कर भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध हुआ पर वो प्रसंग दूसरा है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में वाणासुर ने महादेव भगवान शंकर से संसारपावन नामक कवच सुनाने के लिए कहा वही कवच नीचे वर्णित है. यह वही कवच है जो ब्रह्मा जी ने रावण को दिया था और यही कवच दुर्वासा ऋषि के पास भी था.
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Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
November 2020
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