आ गया क्रोध आ जाने दो आ गया लोभ आ जाने दो हो गया क्षोभ हो जाने दो हो गया मोह हो जाने दो क्यों गुण की हो चिंता तुमको क्यों दोषों का परिहार करो जैसे भी रचे गए हो तुम स्वीकार करो स्वीकार करो जब करने वाला ईश्वर है तो क्यों तुम हाहाकार करो कोई तुमको दुत्कार गया कोई तुमको पुचकार गया तुम भूल गए फिर भक्ति को अपने भीतर के व्यक्ति को और यह कोई पहली बार नहीं हर बार वही हर बार वही इस प्यारे कोमल मन को तुम अहंकार में भर बीमार करो जब करने वाला ईश्वर है तो क्यों तुम हाहाकार करो 'अर्चित' देखो बस देखो तुम प्रभु क्या क्या खेल रचाते हैं सब कर्मों के फल ही तो हैं जो बर्ताव प्रभाव सब पाते हैं चलो बहते जीवन की धारा में किसलिए भला इसे पार करो बस इतना करना जागे रहना चाहे और ना कोई सुधार करो जब करने वाला ईश्वर है तो क्यों तुम हाहाकार करो |
Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
November 2020
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