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धर्म / समाज पर विविध विचार

​स्त्रियों को गायत्री मंत्र का जाप करने से क्यों रोका जाता था?

7/2/2016

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यह बड़ा ही टेढ़ा प्रश्न है. मैंने अपनी जानकारी में तो कहीं लिखा नहीं देखा कि गायत्री मंत्र स्त्रियों क्यों नहीं पढ़ना चाहिए. हाँ इतना अवश्य सुना है स्वामी दयानन्द ने कहा था कि स्त्रियों को भी वेदों और गायत्री मंत्र का पाठ करने दिया जाना चाहिए. स्वामी दयानन्द और स्वामी विवेकानंद ने यदि कोई बात कही हो तो संदेह करने का कोई प्रश्न ही नहीं.    
​
वीमेन इन धर्मशास्त्रास पुस्तक में प्रणति घोषाल लिखती हैं,   "Yamasamhita and Haritasamhita quoted in the Samskaraprakasa and Smriticandrika gave a verdict that just like boys upanayana was obligatory for girls. By the word purakalpa, most probably Smritikar wanted to mean Vedic Age. Yama said that the girls were entitled for thread ceremony, they studied vedas and uttered Gayatri".  

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​इसके अनुसार तो लगता है कि पूर्वकाल में स्त्रियों का उपनयन संस्कार भी होता था और वे गायत्री मंत्र का पाठ भी​ करती थीं. मनुस्मृति के श्लोकों में तो स्त्री के लिए गायत्री पाठ करने का कोई नियम नहीं मिलता. परन्तु स्वामी विवेकानंद के अनुसार,

"The Smritis, Puranas, Tantras — all these are acceptable only so far as they agree with the Vedas; and wherever they are contradictory, they are to be rejected as unreliable."

स्वामी विवेकानंद वेदों को सर्वोपरि मानते हैं और यदि इनमें कही कोई बात वेदों में नहीं है तो उसकी विश्वसनीयता पर संदेह है.   

परन्तु फिर यह बात आई कहाँ से? कहना कठिन है. परन्तु जो साधारणतः सुनने में आता है वही लिखता हूँ:

गायत्री की उपासना सूर्य की उपासना है. गायत्री माता भले ही हैं, परन्तु मंत्र में ध्यान देंगे तो पाएंगे कि उसमें सविता अर्थात सूर्य का नाम है जिससे तेज/आरोग्य/आत्मबल प्राप्त करने के लिए यह साधना करी जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य राजा है, क्रूर है, न्यायप्रिय है, चापलूसी पसंद करता है, शूरवीर है, घमंडी है और एक पुरुष ग्रह है. ऐसे सूर्यदेव की आराधना से संभव है स्त्रियां यही सब गुण पाएं.  

ध्यान दें यहाँ मैंने प्रचलित गायत्री मंत्र के बारे में ही कहा है. गायत्री मन्त्र गणेश, शिव आदि और भी देवताओं के लिए कहे जाते हैं और वे अलग हैं. 

स्वर्गीय काशिनाथ अनंत जोशीजी द्वारा सम्पादित मराठी पुस्तक संपूर्ण चातुर्मास में लिखा है, "शिलाई केलेले कपडे, स्वेटर, चड्डी, अंडरवियर, वगैरे जपाच्या वेळी अंगात घालण्याची पद्धत नाहीं". अर्थात सिले हुए कपडे और यहां तक कि भीतर पहनने के वस्त्र पहनने को भी मान्यता नहीं दी गई है. प्रायः लोग एक पतली धोती पहन कर ही इस मंत्र को जपते हैं.

विदेशी आक्रमणकारियों और मुग़लों के काल में स्त्रियां बहुत असुरक्षित हो गयी थीं. ​क्या यह कारण हो सकता है कि स्त्रियों को गायत्री मंत्र के जप से रोक जाता हो? आप ही तय कीजिये.

कहीं मैंने पढ़ा था कि गायत्री की उपासना से सुषुम्ना नाड़ी जाग्रत हो जाती है जिस कारण शरीर में गर्मी बढ़ने लगती है. परन्तु उस से स्त्रियों को क्या लेना देना है? पता नहीं.   

मुझे किसी महिला ने एक बार कहा था कि गायत्री मंत्र का जप करने से स्त्रियों में गर्भधारण सम्बन्धी समस्याएं आ सकती हैं. तब मेरा वय सोलह वर्ष का रहा होगा. मैंने उस बात को बस सुन लिया क्योंकि उस समय मेरे मन में आध्यात्मिकता को लेकर इतनी रूचि नहीं थी. ​​क्योंकि यह भी एक सुनी हुई बात थी, इसलिए आपकी जानकारी के लिए लिख दी.      

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photo source: http://www.globaltimes.cn/
जीवन शैली बदल जाने के कारण बहुत बातों के अर्थ बदल गए हैं. 

वैसे तो गायत्री मंत्र को कभी भी पढ़ा जाए परन्तु नियमानुसार गायत्री मंत्र संध्या वंदन का भाग है. संध्या वंदन तीन समय अधिक लाभप्रद​ होता है - सूर्योदय, मध्यान्ह और सायंकाल​. जीवनशैली ऐसी हो चली है कि​ अब सूर्योदय के समय उठ कर अधिकतर लोग पूजा नहीं कर पाते. पूजा कर पाना तो दूर कई लोग तो सूर्योदय पर उठ भी नहीं पाते. और कई लोग तो जब तक सोने का मन बनाते हैं, सूर्योदय होने वाला होता है. 

सूर्यास्त के समय कार्यालय में होते हैं तो वो भी नहीं हो पाता. और दोपहर में तो कार्यालय में ही होते हैं. दोपहर के समय कई मुसलमान बंधू तो नमाज़ के लिए (शुक्रवार को) निकल जाते हैं परन्तु हिन्दुओं को या तो जानकारी नहीं है, या वो इतने धार्मिक नहीं और या फिर वो साहस नहीं जुटा पाते. 

​आज के समय में कितने लोग विधि विधान से पूजा करते हैं? हवन आदि कितने लोग नियमित रूप से करते/कराते हैं? त्रिकाल संध्या कितने लोग कर पाते हैं? जब हम वेदों/पुराणों में वर्णित बहुत सी बातों को कर ही नहीं पा रहे तो व्यर्थ का विवाद क्यों हैं? 

Reference:
Arya Samaj and Indian Civilization by R.K. Pruthi (page 36)
Women in Dharmasastras: A Phenomological and Critical Analysis, Edited by Chandrakala Padia 

http://www.dnaindia.com/entertainment/report-priyanka-chopra-says-she-does-not-need-a-man-except-for-children-2170854
http://www.vedicguru.in/2015/05/how-to-chant-gayatri-mantra-basic-rules.html
​http://www.awgp.org/spiritual_wisdom/gayatri/gayatri_mantra_sadhan/essential_elements_of_gayatri_sadhan
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Comments

    Author - Archit

    लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II
    ​

    ज्योतिष के विषय से मैंने इस वेबसाइट पर लिखना शुरू किया था परंतु ज्योतिष, धर्म और समाज को अलग अलग कर के देख पाना बड़ा कठिन है. शनैः शनैः मेरी यह धारणा प्रबल होती जा रही है कि जो भी संसार में हो चुका है, हो रहा है अथवा होने वाला है वह सब ईश्वर के ही अधीन है अथवा पूर्वनियोजित है. लिखना तो मुझे बाल्यकाल से ही बहुत पसंद था परंतु कभी गंभीरता से नहीं लिया. कविताएं लिखी, कहानियां लिखी, निबंध लिखे परंतु शायद ही कभी प्रकाशन के लिए भेजा. मेरी कविताएं और निबंध (जिनका संकलन आज न जाने कहाँ हैं) जिसने भी देखे, प्रशंसा ही की. यह सब ईश्वर की कृपा ही थी. धार्मिक क्षेत्र में मेरी रुचि सदा से ही रही है परंतु पुत्र होने के बाद थोड़ा रुझान अधिक हुआ है. ना जाने कब ईश्वर ने प्रेरणा दी और मैंने इस पर लिखना शुरू कर दिया.

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