सुरेन्द्र उन लोगों में से नहीं था जो थोड़ी सी जानकारी के लिए घंटों पुस्तकों के पन्ने पलटते रहें. उसका मानना था कि जब पलक झपकते ही इंटरनेट पर सारी जानकारी मिल सकती है तो पुस्तकों का आश्रय कौन ले. ऐसे ही एक दिन गोहत्या तथा गोरक्षा का विषय समाचारों में कुछ अधिक ही छाया देख सुरेन्द्र ने सोचा इस विषय पर कुछ जानकारी एकत्रित करी जाए. इंटरनेट में जितनी क्षमता ज्ञान देने की है, उससे कहीं अधिक ध्यान भटकाने की है. वेबसाइट वाले ऐसे ऐसे विज्ञापन डाल कर रखते हैं कि अच्छे अच्छों का मन डोल जाये. कई लोगों के साथ ऐसा होता है जैसे कोई रेलगाड़ी पकड़ने निकला व्यक्ति स्टेशन जाना भूल कर रास्ते में चाट खाने रुक जाए. सुरेन्द्र ने इंटरनेट खोला तो था गोहत्या पर जानकारी के लिए, परन्तु कोने में एक अभिनेत्री का इतना सुन्दर चित्र दिखा कि फिर थोड़ी देर वह अभिनेत्री के चित्रों को ही टटोलता रहा. आधा घंटा इसी में बीतने के बाद जब उसे स्मरण हुआ कि वास्तविक विषय क्या था तो महाशय ने इंटरनेट पर पुनः खोजबीन शुरू की. सहसा उसकी दॄष्टि एक ऐसे शीर्षक पर पड़ी जिससे उसका ध्यान फिर भटक गया. शीर्षक था, "सोमालिया के इस्लामिक संगठन ने समोसों पर प्रतिबन्ध लगाया". जिज्ञासावश उसने जब विस्तार से पढ़ा तो उसे पता चला कि समोसे का तिकोना आकार ईसाई चिन्ह "होली ट्रिनिटी" से मेल खाता है अतः पाश्चात्य सभ्यता का सूचक है. यही कारण है कि सोमालिया के इस्लामी संगठन ने इस पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. समोसे का धर्म के साथ यह अनोखा सम्बन्ध देख कर सुरेन्द्र की आँखें भर आईं. दूसरी एक वेबसाइट को एक तीसरी वेबसाइट से पता चला कि हो सकता है समोसा बनाने वाले लोग उसमें सड़ा हुआ मांस मिला रहे हों जिसका सेवन इस्लाम के विरुद्ध है और स्वास्थ्य सम्बन्धी बात है इसलिए ऐसा प्रतिबन्ध लगाया गया है. धर्म की बड़ी बड़ी बातें उसकी समझ से परे थीं. भोला भाला सुरेन्द्र तो बस यह जानता था कि समोसा मात्र पनीर, आलू या मटर का ही होता है या फिर मीठा समोसा. वैसे उसने काजू वाले समोसे भी खाये थे परन्तु मांस वाले समोसे का तो उस बेचारे को कोई पता न था. अब सुरेन्द्र को सब पता हो यह भी तो आवश्यक नहीं. उस दिन सुरेन्द्र को पहली बार पता चला कि जो समोसे वो प्रतिदिन भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग समझ कर खाता था वह वास्तव में भारतीय मूल के हैं (थे) ही नहीं. समोसे तो कहीं मध्य एशिया में जन्मे थे और भारत, जो सभी को अपना लेता है, उसने समोसे को भी बड़े प्रेम से अपना लिया. आज कितने ही लोगों का जीवन समोसे के वर्णन के बिना अधूरा है. शाम को चाय/समोसे की दूकान पर चर्चा के लिए उसने पर्याप्त ज्ञान अर्जित कर लिया था. यूं तो यह २०११ का समाचार है पर सुरेन्द्र का मानना था कि चाय की दुकान पर समाचार नया हो या पुराना, विशेष होना चाहिए. अब उसे बोलने के लिए नयी ऊर्जा चाहिए थी अतः उसने लैपटॉप बंद किया और एक मानसिक विश्रांति के लिए आँखें बंद कर लेट गया. गोहत्या पर जानकारी लेने का विचार शायद फिर उसके दिमाग से निकल गया था. Reference:
http://www.huffingtonpost.com/entry/samosas-banned_n_913249.html?section=india http://www.dailymail.co.uk/news/article-2018858/Islamist-group-Somalia-bans-samosas-deciding-theyre-Western.html http://www.samosa-connection.com/origin.htm |
Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
November 2020
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