यदि आप कभी चेन्नई आये हों तो एक बात आपको अवश्य पता होगी. यहाँ के लोग बहुत से शब्दों के अंत में "आ" की ध्वनि लगा देते हैं. फिर चाहे वह शब्द अंग्रेजी का हो, हिंदी का अथवा किसी और भाषा का. उदहारण के लिए "(कोल्ड) Cold" के स्थान पर "(कोल्डा) Coldaa", (cream) क्रीम के स्थान पर "क्रीमा (creamaa)", "रोड़" के स्थान पर "रोड़ा" आदि का तमिल लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है. यह तो अंग्रेजी के शब्द हुए परंतु हिंदी में तो बहुत से शब्दों का अर्थ कुछ और ही हो जायेगा. यह तो जो मैंने जो चेन्नई में देखा वह कहा. हिंदीभाषियों में भी अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव के चलते बहुत से नामों का उच्चारण कुछ अलग (कभी कभी विचित्र) ढंग से होने लगा है. थोड़ा सा इधर उधर होने से कभी कभी तो उन नामों का अर्थ भी बदल जाता है. उदाहरण के लिए आपने पतंजलि का विज्ञापन देखा ही होगा. उसमें जिस लड़की की आवाज़ है वो पतंजलि नहीं अपितु "पतांजलि" कह कर बुलाती है. पतांजलि का अर्थ तो मुझे नहीं पता परंतु सही शब्द बाबा रामदेव के मुख से निकला "पतंजलि" ही है न कि "पतांजलि". इसी प्रकार प्रियंका नाम को बहुत से लोग "प्रियांका" कह कर बुलाते हैं. और जिसका नाम प्रियंका है उसे भी कोई आपत्ति नहीं. जन्माष्टमी आने वाली है और यह लेख लिखने का मेरा उद्देश्य मात्र एक छोटी सी बात को दोहराना है कि हिंदी में "आ" और "अ" का प्रयोग अलग है. दोनों की ध्वनि अलग है और इसलिए अर्थ भी अलग हो सकता है. अंग्रेजी वाले लोग प्रायः इस अंतर को भूल जाते हैं. उदाहरण के लिए "कृष्ण" भगवान कृष्ण को कहते हैं और "कृष्णा" द्रौपदी को. कृष्णा एक नदी का भी नाम है. एक अन्य उदाहरण - "शिव" भगवान शंकर के लिए प्रयुक्त होता है और "शिवा" पार्वती के लिए. परंतु अंग्रेजी में नाम को शिवा पढ़ा जाता है. शिवा तो शिव की पत्नी है. इसी प्रकार मंगल - मंगला, नयन - नयना, जल - जला, आत्मज - आत्मजा, सुत-सुता आदि के अर्थ भिन्न हो सकते हैं. ऐसे बहुत से उदाहरण हो सकते हैं. बहुत से शब्दों में "आ" आ जाने से वह स्त्रीलिंग को दर्शाने लगता है. अतः "आ" और "अ" का प्रयोग थोड़ा सोच समझ कर करें. ध्यान दें: यहाँ मैंने मात्र हिंदी भाषा को ध्यान में रखते हुए बात रखी है. कुछ भाषाओं में यह अलग भी हो सकता है. |
Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
November 2020
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