विष्णु के पद से तुम निकली शिव की जटा समाई हो सरिताओं में श्रेष्ठ पावनी हम सबकी गंगा माई हो तेरे तट पर बड़े हुए हैं तेरे तट पर खेले हैं तेरे जल में स्नान किया और देखे कितने मेले हैं धन्य हैं हम जो हरिद्वार में गंगा का सान्निद्ध्य मिला परम शांति प्रदाता तेरा दर्शन हमको नित्य मिला (आज) माता तुमसे दूर पड़े हैं यह दुर्भाग्य हमारा है फिर भी धन्य हैं क्योंकि सिर पर आशीर्वाद तुम्हारा है मुझसे भूल हुई, होती है पर गंगा बड़ी दयालु है मेरे पाप बहा ले जाती माता बड़ी कृपालु है जय गंगे जय जय माँ गंगे नित्य स्मरण जो करता है 'अर्चित' माने ऐसे जन का मन आनंद से भरता है हे माता कुछ ऐसा कर दे तेरे तट पर बस जाऊँ पूरे सब दायित्त्व करूँ और शंकर को भी भज पाऊँ |
Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
November 2020
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