Thoughts, Experiences & Learning
  • विषय
    • ज्योतिष
    • धर्म / समाज
    • वैतनिक जगत्
  • स्तोत्र / मन्त्र
  • प्रश्न / सुझाव

धर्म / समाज पर विविध विचार

महर्षि पुलस्त्य कौन थे और उन्होंने रावण के प्राण क्यों बचाये?

19/6/2016

Comments

 
महर्षि पुलस्त्य महर्षि विश्रवा के पिता और राक्षसराज रावण के दादा थे. सब ओर उनका बड़ा सम्मान था. रावण भी अपना परिचय देते समय स्वयं को पुलस्त्य ऋषि का पोता और विश्रवा ऋषि का बेटा बताता था. 
​
​
रावण महापराक्रमी था और उसने बहुत बड़े बड़े वीरों को पराजित किया था परंतु ऐसा नहीं था कि उसे कभी किसी ने पराजित न किया हो. उसे पराजित करने वाले कुछ वीरों में सहस्त्रार्जुन का भी नाम लिया जाता है.

एक समय था जब रावण हर जगह अपनी विजय पताका फहराने में लगा था. इसी बीच उसने कहीं से सहस्त्रार्जुन का नाम सुना तो उस पर विजय पाने की अभिलाषा से माहिष्मती ​पहुँच गया. माहिष्मती नगरी पर सहस्त्रार्जुन का शासन था.​ कहते हैं माहिष्मती में साक्षात् अग्निदेव निवास करते थे.

संयोग की बात है कि जब रावण वहाँ पहुँचा तो सहस्त्रार्जुन (जिसे सहस्त्रबाहु अथवा अर्जुन भी कहते थे) अपनी स्त्रियों के साथ नर्मदा के पवित्र जल में विहार करने गया हुआ था. जब रावण ने सहस्त्रार्जुन को वहाँ न पाया तो अपने साथियों के साथ विंध्याचल पर्वत की ओर चला गया.

नर्मदा नदी की पवित्रता, आसपास का वातावरण, और मंद मंद चलने वाली शीतल पवन ने उसका मन मोह लिया. उस समय नर्मदा नदी उसे बड़ी कल्याणकारी लगी. हिन्दू धर्म में जल को सदा से ही बड़ा आदरणीय स्थान प्राप्त है. पवित्रता के साथ जल का नाता अटूट है. 

रावण की भी इच्छा हुई कि स्वयं को पवित्र करे और ईश्वर का अर्चन करे. उसने अपने अनुयायी राक्षसों से स्नान करने को कहा और स्वयं भी नर्मदा नदी में स्नान किया. 

रावण राक्षस था, अहंकारी था, और दुराचारी भी था परंतु भगवान शिव का बड़ा भक्त था. उसने अपने राक्षसों से कहकर सुगन्धित पुष्पों की व्यवस्था कराई और शिवलिंग की पूजा अर्चना आरम्भ की. 

​अभी उसकी पूजा समाप्त भी न होने पायी थी कि नर्मदा का पानी तट के ऊपर से बहने लगा. जो नदी थोड़ी देर पहले तक बड़े ही शांत वेग से बह रही थी वह सहसा ही तट के ऊपर को हो कर भला क्यों बहने लगी. 
Picture
Home made Ravana on Dushehra at a friend's house
Picture
Ravana idol in display during Golu Festival in Chennai
जलस्तर के यों अचानक बढ़ जाने से किसी का तट पर रुकना संभव न हुआ. महाबलशाली रावण को भी अपनी पूजा बीच में ही छोड़ उठना पड़ा. परंतु यह प्रकरण अधिक समय नहीं चला. थोड़ी ही देर में नर्मदा अपनी स्वाभाविक गति और जल स्तर से बहने लगी.

रावण के मन में विचार आया कि यह सहज नहीं है. इस सब में कुछ न कुछ तो कारण है. उसने शुक और सारण को इसका कारण पता लगाने को कहा. 

शुक और सारण ने सभी ओर खोजा तो पाया कि रावण जहाँ पूजन कर रहा था वहाँ से कुछ दूर कोई उसी नदी में कई स्त्रियों के साथ विहार कर रहा था. वह सहस्त्र भुजाओं वाला देखने में ही कोई बलशाली वीर जान पड़ता था. जब जब वह अपने हाथों को नर्मदा नदी के प्रवाह के रास्ते में लाता तो नदी का प्रवाह नियत स्थान से न हो कर कहीं और ही से होने लगता. यही कारण था कि नर्मदा का जल तट को भी पार करके बहने लगता था.
​
शुक और सारण ने जो देखा था वह रावण से कहा. विवरण सुन कर रावण समझ गया कि वह कोई और नहीं सहस्त्रबाहु ही है और अब उसे इस धृष्टता का दण्ड देने का समय आ गया है.

उसने चिंता नहीं की कि जल विहार करते हुए किसी व्यक्ति से युद्ध करना कितना उचित होगा. उचित अनुचित का विचार वैसे भी वह कम ही करता था. अपनी सेना के साथ जब रावण वहाँ पहुँचा तो मार्ग में ही उसे सहस्त्रबाहु के लोगों ने रोक लिया. परंतु रावण तो रावण था. ऐसे ही कोई भी तो उसे रोक नहीं सकता था. उसने रोकने वालों को ही यमलोक पहुँचा दिया.

जो भी मार्ग में आता रावण उसे उचित दण्ड देता. इतने में ही इस सब उत्पात की सुचना किसी ने सहस्त्रबाहु को पहुँचा दी. सहस्त्रबाहु भी महावीर था. उसने तनिक भी क्लेश न किया और युद्ध के लिए तैयार हो गया.

उसने स्त्रियों को सुरक्षित किया और अपनी भयंकर गदा ले कर रावण के सम्मुख जा पहुंचा. दोनों में घमासान युद्ध हुआ. रावण के दस सर थे तो सहस्त्रार्जुन के पास सहस्त्र भुजाओं का बल था. 

युद्ध चलता रहा और जब अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) ने रावण की छाती पर गदा का प्रचण्ड प्रहार किया तो रावण तो (ब्रह्मा के वरदान के प्रभाव से) मरा नहीं परन्तु गदा अवश्य खंडित हो गई. वार इतना घातक था कि रावण जैसा योद्धा भी धक्के से पीछे को हो गया और पीड़ा से बिलबिलाने लगा. 

मात्र इतने ही समय में सहस्त्रार्जुन ने रावण को बंदी बना लिया और अपने महल में ले गया.  बंदी बना रावण कुछ भी नहीं कर सकता था. उसका वध ही तो नहीं हो सकता था परंतु उसे बंदी तो बना कर रख ही सकते थे.

रावण वहाँ बंदी बन कर कुछ समय रहता रहा. इधर जब महात्मा पुलस्त्य जी को रावण के इस हाल में होने का पता चला तो उन्हें बड़ा मोह हुआ. वे स्वयं सहस्त्रबाहु से रावण की रक्षार्थ मिलने पहुंचे. सहस्त्रबाहु को जब पता चला कि परम तेजस्वी पुलस्त्य जी स्वयं पधारे हैं तो उसने बड़े ही सम्मान के साथ उनका स्वागत किया.

पुलस्त्य जी ने उसे अपने आने का हेतु बताया और रावण को मुक्त करने की प्रार्थना करी. सहस्त्रबाहु तो महाबली था ही. उसने रावण को परास्त भी कर दिया था. उसने बिना किसी शर्त के रावण को मुक्त कर दिया.

इस घटना के बाद रावण और सहस्त्रार्जुन में मैत्री हो गयी.

read more
Comments

    Author - Archit

    लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II
    ​

    ज्योतिष के विषय से मैंने इस वेबसाइट पर लिखना शुरू किया था परंतु ज्योतिष, धर्म और समाज को अलग अलग कर के देख पाना बड़ा कठिन है. शनैः शनैः मेरी यह धारणा प्रबल होती जा रही है कि जो भी संसार में हो चुका है, हो रहा है अथवा होने वाला है वह सब ईश्वर के ही अधीन है अथवा पूर्वनियोजित है. लिखना तो मुझे बाल्यकाल से ही बहुत पसंद था परंतु कभी गंभीरता से नहीं लिया. कविताएं लिखी, कहानियां लिखी, निबंध लिखे परंतु शायद ही कभी प्रकाशन के लिए भेजा. मेरी कविताएं और निबंध (जिनका संकलन आज न जाने कहाँ हैं) जिसने भी देखे, प्रशंसा ही की. यह सब ईश्वर की कृपा ही थी. धार्मिक क्षेत्र में मेरी रुचि सदा से ही रही है परंतु पुत्र होने के बाद थोड़ा रुझान अधिक हुआ है. ना जाने कब ईश्वर ने प्रेरणा दी और मैंने इस पर लिखना शुरू कर दिया.

    ​Archives

    November 2020
    August 2020
    April 2020
    March 2020
    December 2019
    August 2019
    July 2019
    June 2019
    May 2019
    February 2019
    January 2019
    December 2018
    November 2018
    October 2018
    September 2018
    August 2018
    June 2018
    May 2018
    April 2018
    March 2018
    February 2018
    January 2018
    December 2017
    November 2017
    October 2017
    September 2017
    August 2017
    July 2017
    June 2017
    May 2017
    April 2017
    March 2017
    February 2017
    January 2017
    December 2016
    November 2016
    October 2016
    September 2016
    August 2016
    July 2016
    June 2016
    May 2016
    April 2016
    March 2016
    February 2016
    January 2016
    December 2015
    August 2015
    July 2015
    June 2015

    Categories

    All
    Ashtavakra Geeta
    Buddha
    English
    Father's Day
    Friendship Day
    Ganesha
    Ganga
    Guru Purnima
    Hanuman
    Hindi
    Kavita (Poetry)
    Krishna
    Ram
    Saraswati
    Shiva
    Vishnu

    RSS Feed

    Picture
    हरि नाम जपो हरि नाम जपो

Blogs

Astrology
Religion
​Corporate

Support

Support
Contact

© COPYRIGHT 2014-2020. ALL RIGHTS RESERVED.
  • विषय
    • ज्योतिष
    • धर्म / समाज
    • वैतनिक जगत्
  • स्तोत्र / मन्त्र
  • प्रश्न / सुझाव