अनीता को उन दिनों अच्छा पैसा मिलने लगा था. घर परिवार से भी सुखी थी. देखा जाए तो वह उसके जीवन का स्वर्णकाल था. परन्तु मन में एक डर था - "कहीं खुशियों को किसी की नज़र न लग जाये". कोई उसे कभी हालचाल पूछता तो वह यह नहीं कहती कि बढ़िया चल रहा है, अपितु कुछ न कुछ समस्या बना कर ही बताती ताकि लोगों को उसके सुखों से ईर्ष्या ना हो.
Today I got a message on WhatsApp that claimed to define "Love" in its own way. First have a look at this message in the form of image (given below as received):
सुरेन्द्र उन लोगों में से नहीं था जो थोड़ी सी जानकारी के लिए घंटों पुस्तकों के पन्ने पलटते रहें. उसका मानना था कि जब पलक झपकते ही इंटरनेट पर सारी जानकारी मिल सकती है तो पुस्तकों का आश्रय कौन ले. ऐसे ही एक दिन गोहत्या तथा गोरक्षा का विषय समाचारों में कुछ अधिक ही छाया देख सुरेन्द्र ने सोचा इस विषय पर कुछ जानकारी एकत्रित करी जाए.
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Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
November 2020
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