राम राम श्री राम राम श्री राम नाम का कीर्तन
देगा मन की आँखें खोल, रे मन राम राम तू बोल मानव जनम बड़ा अनमोल, रे मन राम राम तू बोल जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी. तुलसीदास ने तो यह भगवान राम के लिए कहा था परन्तु जन्मदिन को लेकर भी लोगों में कोई एक मत नहीं है. कोई इसे उत्सव जैसा मनाता है तो कोई दान धर्म आदि करता है. कोई मित्रमंडली को दावत देता है तो कोई परिवार के साथ बाहर खाने पीने निकल जाता है.
A teacher is worthy of ten times more respect that one should offer to a sub-teacher (उपाध्याय). The father is even more respectable and is a hundred times more venerable than the amount of respect offered to a teacher but the mother is thousand times more respectable than the father. Such is the glory of mother according to Manusmiriti (मनुस्मृति).
समाज की ओर से व्यक्ति पर बहुत से दबाव होते हैं (जैसे कमाई, संपर्क, आचरण, धन, पराक्रम, चरित्र, आदि) परन्तु सर्वाधिक दबाव किसी बात का पड़ता है तो वह है विवाह का और एक बार विवाह हुआ तो फिर संतान उत्पन्न करने का.
यदि किसी कारण विवाह के पश्चात् संतान उत्पत्ति में विलम्ब हुआ तो फिर लोग तरह तरह की बातें करना शुरू देते हैं. तंग आकर व्यक्ति क्या नहीं करता. कोई चिकित्सक से परामर्श लेता है तो कोई ज्योतिषियों से उपाय पूछता है. कोई कोई तो तांत्रिक के चक्कर में पड़कर जाने कैसे कैसे उपाय भी करता है परन्तु होइहि वही जो राम रचि राखा. आज बुद्ध पूर्णिमा है. महापुरुषों का जीवन हमारे लिए बहुत कुछ सीखने के लिए छोड़ जाता है और महात्मा बुद्ध के जीवन से जो महत्त्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं उनमें से एक है - अति सर्वत्र वर्जयेत्.
निरंजना नदी के किनारे खड़े सिद्धार्थ गौतम को किसी युवती की आवाज़ सुनाई दी. वह बड़े ही मधुर स्वर में गा रही थी. क्या तेज था उसके चेहरे पर. क्या मधुर वाणी थी और सुंदरता ऐसी कि सिद्धार्थ ने उसे देखा तो देखते ही रह गए. उस युवती का नाम सुजाता था.
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Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
November 2020
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