जब भी तू नींद में जाने लगता है मैं आता हूँ तेरे कान में भुनभुनाता हूँ तुझे बताता हूँ कि मत सो नींद के वश मत हो तू सो गया तो तेरा रक्त पिया जायेगा मैं और मेरे साथी जो इधर उधर छुपे बैठे हैं अभी हम सब पियेंगे सपनो में खोये हुए किसी बेचारे का रक्त तो सभी पीते हैं हम भी पी लेंगे 'अर्चित' जो है स्वयं को बचाना तो केवल उठ कर बैठ जाना पर्याप्त नहीं होगा जागने पर भी कर्म तो करते रहना होगा ऐसी व्यवस्था कर कि हमारा प्रवेश तेरे घर हो ही न सके और घर के भीतर रख इतना स्वच्छ सुन्दर कि हमारा वहाँ मन ही न लगे और देह पर या तो कुछ लगा ले अथवा कुछ आवरण चढ़ा ले या फिर योगबल इतना बढ़ा ले कि हमें तेरा रक्त पीने की इच्छा ही न हो ऐसे जब तू जागरूक हो कर सोयेगा तो क्यों और कैसे फिर मैं या मेरा कोई बहन-भाई तुझे डंक चुभोयेगा |
Author - Architलाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः I येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः II Archives
February 2021
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